हिंदी भाषी वोटों की मजबूरी? अचानक मराठी विवाद भड़काकर उद्धव और राज बैकफुट पर कैसे दिखने लगे

हिंदी भाषी वोटों की मजबूरी? अचानक मराठी विवाद भड़काकर उद्धव और राज बैकफुट पर कैसे दिखने लगे

मराठी विवाद के बीच अब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के तेवर नरम पड़ते नजर आ रहे हैं. उद्धव बार-बार यह सफाई दे रहे हैं कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं. वहीं, राज भी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. इसके पीछे क्या है?

महाराष्ट्र में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य किए जाने के विरोध से शुरू हुआ विवाद अब मराठी बनाम गैर-मराठी की शक्ल ले चुका है. हिंदी विवाद के बीच राज ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के समर्थकों ने एक दुकानदार की केवल इसलिए पिटाई कर दी थी, क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रहा था.

इस घटना के बाद यूपी, बिहार और महाराष्ट्र के नेताओं में जुबानी जंग छिड़ गई. भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने ठाकरे बंधुओं को यूपी-बिहार आने की चुनौती दे दी और कहा कि पटक-पटक कर मारेंगे. बीजेपी के ही पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ ने भी मोर्चा खोल रखा है.

यूपी और बिहार बनाम महाराष्ट्र, नेताओं की इस त्रिकोणीय जुबानी जंग के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, दोनों भाई बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. उद्धव ठाकरे पहले दिन से सफाई दे रहे हैं कि हम हिंदी या किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, हमारा विरोध कोई भाषा थोपे जाने के खिलाफ है. विवाद गहराने के बाद अब राज ठाकरे ने भी अपनी पार्टी के नेताओं को कुछ भी बोलने से बचने की ताकीद की है. ठाकरे बंधुओं के सुर में नरमी के पीछे क्या है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *